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( ५२ ) (६) स्याद्वाद ऐसा बढ़िया सिद्धान्त है कि इसमें असत्य का पता नहीं चलता। (७) अहिंसा का स्वरूप भी बहुत उचित है ।
लेखक-सेठ केदारनाथ साहिब गोयनका । (१) मैं आजैन हूं मगर जैनधर्म की श्रद्धा मुझे यहां
(२) जैन धर्म की ज्योत अखण्ड है रत्नों से भरपूर है यदि आप अपने रतों के भण्डार ( जैन शास्त्र ) खोल दें तो संसार में रोशनी हो जायनी ।
(३ ) मैं समझता हूं, कि जैनियों में वह ज्योति है कि जिससे हम अपने बन्धनों को काट सकें।
( ४ ) जो जैनियों पर यह इलजाम (दोष ) लगाते हैं कि उन्होंने अहिंसा धर्म पैला कर हमको कायर बना दिया है वे गलती पर है अहिंसा धर्म वही पाल सकता है जो वीर है। (सं० मोतीलालजी रांका ब्यावर)
पाठ २१ – आदर्श गौ-सेवा (राजा करकराडु)।
चम्पानगरी का राजा करकण्डु नीति और न्याय से राज्य चलाता था । राजा होते हुए भी उसे गौ की सेवा बहुत प्रिय थी । वह गौओं की आबादी से राज्य की