________________
( १२३ ) (५०) नारकी के जीवों में परस्पर शत्रु बुद्धि है अगर
मित्र वुद्धि होतो दुःख कम हो उसी प्रकार अज्ञानी ने पापोदय से धर्म क्रियाओं से शत्रुता मान
रक्खी जिसमे दुःखी हो रहा है। (५१) विषयामिलापी मरकर नरक में जाता है वहां सिर्फ
नपुंसक वेद है और पशु योनि में जाता है तो वहां
उपस्थेंद्रिय काट दी जाती है जैसे बैल घोडे आदि। (५२) मनुष्य माता के मल मूत्रादि स्थान में जन्म लेता
है विष्टा के कीडे को जंगल की शुद्ध हवा मिलती
है किंतु गर्भस्थ जीव के लिये न हवा है न प्रकाश. (५३) कपाय की मंदता ही सच्चा सुख और तीव्रता ही
अनंत दुःख और संसार वर्धक है । (५४) शरीर के लिये सोमल, अफीम. संखिया घातक वैसे
ही आत्मा के लिये हिंसा, विषय घातक है । (५५) पत्थर से मनुष्य अपना सिर फोडे तो उसमें पत्थर
का क्या दोष है ? उसी प्रकार जीव विपय कपाय में फंसे तो उसमें विपय कपाय का क्या दोप है जैसे पत्थर निर्दोष है उसी प्रकार विषय कपायी
संयोग भी निर्दोष है। (५६) अज्ञानी को ससुराल की गालियां मीठी लगती है
और माता पिता की हित शिक्षा कड लगती है