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(११८ ) (११) अज्ञानी जितने कर्म कोडों भवों में क्षय करते हैं
उतने ही कर्म ज्ञानी अंतर्मुहूर्त में क्षय करते हैं। (१२) ज्ञानी प्रत्येक श्वासोश्वास में जागृत है।। (१३) अशुचि पदार्थ से शरीर बना है तो ऐसे शरीर में
सुंदरता कहां से आयगी ? (१४) (१) मास में गर्भस्थ जीव खून व प्रवाही वीर्य
वाला रहता है। ( २ ) मास में पानी के बुदबुदे जैसा आकार
वाला होता है। (३) मास में बुदबुदा कठिन होता है। (४) मास में मांस की आकृति बनती है । (५) मास में मांस में से ५ अंकूर फूटते हैं (१)
सिर (२) हाथ (२) पांव. (६) मास में आंख कान नासिका, ओष्ठ, अंगुलीये
बनती है। (७) मास में चमडी नख और केस आते हैं। (८) मास में हलन चलन की क्रिया प्रारंभ होती है। (९) मास में बाहर आने के योग्य
वनता है। (१५) माता की विष्टा चाहे कची हो या पकी वहीं जीव
का निवास स्थान है। (१६) खाया हुआ भोजन कच्ची विष्टा है और पाचन
हुए बाद पक्की विष्टा है।
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