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( ११५ ) (७०) अनंतकाल तक विषय कषाय का सेवन किया
फिर भी तृप्ति न हुई और न होगी। (७१) विषय कषाय की मुर्छा से संसारी मूर्छित हैं। (७२) विषय कपाय से बचने का उपाय एक विवेक है। (७३) विषय कपाय का साम्राज्य तीन लोक में है। (७४) चौरासी लाख जीव योनि में भटकाने वाला सिर्फ
एक विषय-कपाय है। (७५) विषय-कषाय ही संसार है। (७६) विषय-कषाय दावानल में अज्ञानी शीतलता हूंढते
है किन्तु वे भस्म हो जाते हैं । (पतंगवत् ) (७७) विषय-कपाय अनंत ज्ञानी से निन्दित होने पर भी
अज्ञानी पवित्र मानते हैं। (७८) विपयी-कपायी विश्व का गुलाम है। (७९) अज्ञानी को विषय कपाय का भूत लगता है।
(८०) विषय-कषाय का भूत अनंत पुण्य को नष्ट करता है। ' (८१) पिचाश से भी मोहनीय कर्म अनंत भयंकर है। (८२) अज्ञानी क्षणिक मिथ्या सुख के लिये अनंत दुःख
उठाते हैं और दुःखको सुख मानते है । (८३) कपाय आत्मधर्म का नाश करती है। (८४) समभाव के शांत सरोवर में स्नान करीये। (८५) कपायी अज्ञान अंधेरे में घूमते हैं। (८६) कषाय राक्षस को भगाने के लिये समभाव रूपी
मंत्र भज, समभाव सुख का सागर है।