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(१११) (१९) मनुष्य शरीर मिलना अत्यंत मुश्किल है उससे भी
मनुप्यत्व मिलना अत्यंत कठिन है। (२०) मनुष्यत्व मोक्ष जैसा पवित्र व महंगा है। (२१) मनुष्य की तो सिर्फ चमडी है हृदय तो नरक
वतियंच का है। (अज्ञानी व विषय कपायी के लिये) (२२) मनुष्यत्व के कार्य करने से मनुष्यत्व मिलता है
भद्रता, विनय, दया, निराभिमानता के गुण न होतो वह मनुष्य होते हुए भी नरक या तिथंच
का अवतार है। (२३) मनुष्य जन्म अनंत वक्त मिल गया पर मनुष्यत्व
प्राप्त होना अत्यंत दुर्लभ है। (२४) मनुष्यत्व के गुण न होने से मनुष्य जानवर है
और पशु में मनुष्यत्व के गुण होने से वह जानवर
होते हुए भी मनुष्य है। (२५) मोह आत्मा के लिये रोग है और मोह रहित दशा
__ निरोग दशा है। (२६) मोह निद्रा का साम्राज्य तीन लोक में है। (२७) एक म्यान में दो तलवार का समावेश नहीं हो
सकता उसी प्रकार देह ममत्व व आत्म ज्ञान
दोनों नहीं रह सकते। (२८) देह भान भूल जाने से ही आत्म ज्ञान होता है। (२९) देह भान भुलने से निद्रा आती है और शरीर की
थकावट दूर होती है वैसे ही देह भान भुलने से