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(९५) (४४) कौड़ियों की हार जीत जुआं और सट्टे में लाखों की हार जीत साहूकारी कहलाती है उसी प्रकार कृषिकार,, सुनार, लुहार, सुतार, व सिलावट के धंदे को पाप का धंदा कहते हैं और गरीबों से १० या १२ गुणा व्याज अधिक लेकर अपने धंदे को पवित्र मानते हैं।
(४५) राजा विलास के लिये प्रजा को लूटता है । साहूकार विलास के लिये गरीबों को लूटते हैं दोनों मे कितना अंतर है ?
(४६ ) मानवदेव नहीं किंतु देवों का भी देव है।
(४७) बुद्धिवाद यन्त्रालय के समान है और हृदय की श्रद्धा चैतन्य है।
, (४८) बुद्धि में श्वान वृत्ति है. भोंकने की आदत है पर श्रद्वा में सिंह वृत्ति है वह चुपचाप कार्य किया करती है। । (४९.) बुद्धिवादी कीड़ा है पर हृदय वादी गरुड़ पक्षी सा है। __ (५० ) बुद्धि ग्राह्य श्रद्धा मृतक श्रद्धा है और हृदय की श्रद्धा जीवित है।
(५१) बुद्धिवादी न तो धर्म को छोड़ सकता है और न धर्माराधन कर सकता है। : (५२ ) हृदय की श्रद्धा वाला धर्म सेवन करता है
और धर्म मय हो जाता है।