________________
"
( ९३ )
( २६ ) अध्यापकों की चापलूसी विद्यार्थियों को मूर्ख बनाती है उसी प्रकार धर्म गुरुओं की चापलूसी भक्तों को नीचे गिराती है । .
( २७ ) संसार अनंतकाल का जेलखाना है और सांसारी अनंतकाल के बन्दी हैं ।
( २८ ) सांसारिक जेल को महल ( Palace ) समझ रखा है । जिससे अनंत कालसे कैद है.
( २९ ) बन्दी बंधन को ही मुक्ति समझ रहा है. (३०) मानव-भव - महल स्त्री पुत्रादि के बंधन से बन्दीगृह बन गया है, और विशेष बनता जाता है ।
(३१) सिंह, भेड़ से मित्रता नहीं रखता उसीप्रकार ज्ञानी और अज्ञानी में स्नेह नहीं रह सकता ।
(३२) मुर्दे को कौए व गिद्ध नोंच २ कर खा जाते हैं पर नव जीवन वालों से सिंह भी कांपता है उसी प्रकार अज्ञानी को स्वार्थी, संसारी लूट लेते हैं पर ज्ञानी मोक्ष मार्ग की ओर कदम बढ़ाये ही जाते हैं ।
( ३३ ) अजीर्ण वाले को मेवा, मिष्ठान्न विप रूप
3
हैं उसी प्रकार जिन बचन के अजीर्ण वालों को उपदेश लाभ प्रद नहीं है.
( ३४ ) देहदशा वहां आत्मदशा की हानि है. ( ३५ ) राजपाट व रमणियों का त्यागना सरल . किंतु मान, सत्कार सन्मान, पूजा रूप राजपाट व रमणियों का त्याग कठिन है, यही भव भ्रमण का मूल है,
1