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फोनोग्राफ भी यथावसर ही बजाया जाता है । उसकी चूडियों तथा घिसी हुई सुइयों की गिनती भी की जाती है | लेकिन जिन्हासे कितने शब्द बोले जाते है क्यों बोले जाते हैं ? इनका क्या परिणाम होगा ? इत्यादि बातों का विना विचार किये ही वे हिसाब बोला जाता । मनुष्य के समान बकवादी प्राणी विश्व में ढूंढने पर भी दूसरा नहीं मिलता है ।
ज्ञानी ने श्रावक के इक्कीस गुण बतलाये है । जिनमे सर्वप्रथम गुण में श्रावक को अल्प, मधुर, एवं सत्यभाषी होना बतलाया है । इस प्रकार की भाषा बोलने से ही विदेशों में गये हुए श्रावक एक दूसरे को पहिचान लेते थे कि यह शख्स श्रावक है और समदृष्टि है । इससे विपरीत भाषा बोलने वाला मिथ्यादृष्टि समझा जाता था । भाषा पर से ही मनुष्य की परिक्षा हो सकती है । वर्तमान समय में भाषा का संयम और उसकी कीमत की कद्र बहुत कम देखने में आती है ।
वैज्ञानिक एक शब्द बोलने में पाव भर दूध की शक्तिका हास बतलाते हैं । पूर्व के आर्य शरीरशास्त्रियों ने भी वचनपात और वीर्यपात को बराबर माना हैं । याने आर्य एवं अनार्य देशों के वैज्ञानिकों का मत एक हो जाता है । जैन शास्त्र में एक शब्द की आवाज चौदह राजलोक तक टक्कर खाती है ऐसा बतलाया है । यह बात वर्तमान के वैज्ञानिकों ने वायरलेस के आविष्कार से