________________
( ७६ ) कामधेनू का दूध, विषय-कषाय-तृष्णा-आरंभ-परिग्रह स्त्री-पुत्र-धनादि में ममत्व आदि छिद्रोवाली समाज रूपी चलनी में, दुह रहे हैं। ऐसा करने में दोनों के समय एवं शक्ति का दुरूपयोग होता दिखाई देता है। मिट्टी के घट जैसे श्रोतांविरल दिखते हैं यह भी संतोष की बात है। एक निशाने बाज निशाने को गिराने के लिये बंदूक के सैंकड़ो आवाज करता है । लेकिन आवाजो से वह निशा ने को नहीं गिरा सकता । निशान को गिराने के लिये बंदूक में गोली का होना अनिवार्य है गोली रहित वंदूक की लाखों आवाजों में भी निशाना गिराने की ताकत नहीं है। किन्तु बंदूक की गोली में अनेक निशानों को गिराने की ताकत है । इसी प्रकार खाली बंदूक की मानिंद वक्ता का हृदय व्याख्यान में चाहे जितने जोरदार आवाज करे लेकिन उनसे होना जाना कुछ भी नहीं है। वक्ता की हृदय रूपी बंदुक ज्ञान एवं चारित्र रूपी गोली से भरी हुई होनी चाहिये । तभी उद्देश्य की सिद्धि हो सकती है। किन्तु ऐसा नहीं होने से ही समाज की
न में यह स्थिति दिखाई दे रही है।
श्री नंदी सूत्र में भगवान महावीर ने तीन प्रकार र श्रोता बतलाये हैं 'जाणीया' 'अजाणीया' और 'दविअडा'। शास्त्रकार फरमाते हैं कि गौतम सरीखे ज्ञानी का सुधार शीघ्र हो सकता है। परदेशी राजा के समान अज्ञानी का सुधार भी शीघ्र हो सकता