________________
( ७४ )
यह कान रूपी महा जड टेलिफोन तैयार है ये कान है या मिट्टी का दिया । जो कान अनंत ज्ञानी की अनंत कल्याणमयी जिनवाणी सुनने के लिये है वे वह न सुनते हुए विषय विकार वर्धक शब्द सुने तो ऐसे कान किस काम के ? ऐसे कानवालों से बहिरा अनंत पुण्यवान क्योंकि नरक निगोद में जाने की उत्तेजना देने वाले दुर्जन के सुनने योग्य तथा नारकी के नेरियों को भी घृणास्पद हो ऐसे विषय वर्धक शब्द सुनने के दुर्भाग्य से वह वंचित है ।
श्री भगवती सूत्र में श्रीमती जयवंतीबाई श्राविका के प्रश्नोत्तर के प्रकरण में भगवान् महावीर ने फरमाया है कि हे जयवंतीबाई ! संसारी जीव तो बीमार, दुर्बल, आलसी एवं निद्रित ही भले । इसी प्रकार पाठक ! सब विषयों में समझ लें | धर्म रहित का जीवन एवं प्रवृत्ति अनंत भयंकर हे | एक बिल्ली तथा एक सर्प सौ वर्ष की आयु भोगकर मरते हैं । तथा दूसरा सर्प और बिल्ली बाल्यावस्था में ही मर जाते हैं । दोनों में विशेष भाग्य - कौन है ? ज्यादह समय तक जीने से जिसने ज्यादा मारकर खाये वह विशेष पापी एवं भाग्यहीन है ।
,
अल्पवय के कारण जिसने कम पाप कर्म किया वह पहले की अपेक्षा से कम पापी है । धर्मी जीवों का दीर्घ आयुष्य, निरोगता, पांचों इंद्रियों की सम्पूर्णता, जागृतावस्था तथा पुरुषार्थ आदि प्रशंसनीय है । लेकिन धर्म