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यंत्र और इंद्रियां. । आत्मधर्म में साधक और वाधक इंद्रियां का सदु__ पयोगः एवं दुरुपयोग ही है । मनुष्य अपने पास के कुल
पदार्थों की रक्षा उत्कृष्ट रूप से करता है। मिट्टी के ढेले __ की रक्षा करता है। पैसे में मिलने वाली २५ सुइयों में , से एक सुई भी गुम जाय तो उसे ढूंढता है। एक पैसे में __ मिलने वाली सैकड़ों दियासलाईयों में से एक दियासलाई
नीचे गिर जाय तो उसे उठा लेता है । कागज पर के ___ गीले हरफों को सुखाने के लिये डाली गई रेती को भी
वह वापिस डिविया में उंडेल लेता है। इस तरह एक तरफ वह तुच्छाति तुच्छ वस्तुओं की भी रक्षा करता है लेकिन दूसरी तरफ अमूल्य इंद्रियों को पाप कर्म में लगाकर उनकी अनंत शक्तियों का महान दुरुपयोग करता है । श्रोत्र- आवश्यकता पड़ने पर ही टेलीफोन से आवाज सुनता है। टेलीफोन की शक्ति का निरर्थक कोई क्षय नहीं करता। चक्षु- आवश्यकता पड़ने परही दुरचीन, विजली की बॅटरी, दिया अथवा चश्मे का उपयोग किया जाता है भारत के पेतीस करोड मनुष्यों में से ऐसा कोई मूर्ख मनुष्य सुनने में या पढ़ने में नहीं आया कि जो सूर्योदय का प्रकाश फैलने पर दिया या विजली जलाता हो किन्तु सूर्योदय होते ही विश्वभर के मनुष्य शीघ्रता से एक साथ