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________________ मनुष्य उसे पकडना चाहे तो वह उसकी पकड में नहीं आती है! रात्रि में वह जमीन या दीवाल पर न सोते हुए लटकती हुई रस्सी आदि चीजों पर विश्राम लेती है जिससे अन्य भक्षक प्राणी आकर उसका भक्षण न कर सकें । - पक्षी अपने घोंसले पृथ्वी पर न बनाते हुए गगनचुंबी विशाल वृक्षों पर बनाते हैं। उनमें अपने अंडों को रख कर उन्हें सेते हैं और जब तक उनके पर फूटकर वे उडनेके योग्य न हो जाय तब तक उनकी जठराग्नि के अनुकूल खुराक देकर उनकी प्रतिपालना करते हैं । पशुओं में गाय अपने बच्चे के लिये दूध गोपकर रखती है। संध्या को जंगल से लौट कर आने पर वह अपनी बोली में बच्चे को समझाती है कि मैं जंगल से घास का दूध बनाकर तेरे लिये लाई हूं। इसके प्रत्युत्तरमें बच्चाभी अपनी निर्दोष आवाज से माता का स्वागत करता है । पश्चात् दोनों प्रेम पूर्वक एक दूसरे से मिलते हैं और माता जिव्हा से बच्चे को चाट कर अपना प्रेम प्रदर्शित करती है। हजारों गौओं में भी बच्चा अपनी माता को तथा माता अपने बच्चे को फौरन पहिचान लेती है । मनुष्य के समान पशु-पक्षी भी अपने लिये धन-धान्यका संग्रह करते हैं तथा मकानादि वनाते हैं। चींटियां अपने विलों में धान्य इकठा करती हैं । मक्खियां अपने छत्तों में मधु संचय करती हैं। किंतु वे सिर्फ इकट्ठा करना . नती है। न तो खुद उन्हें खाती हैं और न ओरोका।
SR No.010061
Book TitleJain Shiksha Part 03
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages388
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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