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(५९) नहीं जानता। जिस प्रकार हम अपने निवास स्थान को मकान कहते हैं उसी प्रकार यह शरीर भी आत्मा का निवास स्थान अर्थात् मकान है । सांसारिक मकान तीन तत्वा से निर्मित है। पत्थर-चूना-पानी। इसी प्रकार यह शरीर रूप मकान मुख्यतः तीन पदार्थों से बना हुआ है । हड्डी मांस, तथा रक्त । शरीर में मकान की तरह पत्थर का काम हडी से, मांसका चूने स रक्त का पानी से । मकान पर चूने की कलाई की जाती है उसी प्रकार शरीर के उपर चमड़े की कलाई है । केवल इस कलाई के कारण शरीर तथा मकान की शोभा है। शरीर के ऊपर से यदि कलाई रूपी चमड़ी अलग कर दी जाय तो यह शरीर अत्यंत ही घृणास्पद होजायगा। दोनों में भेद इतना ही है कि सांसारिक मकान स्थिर है तब शरीर रूपी मकान एक स्थान पर से दूसरे स्थान पर लेजाया जासकता है। वर्तमान काल में ऐसे लकड़ी के मकान बने है कि जिन्हे मनुप्य शरीररुपी मकान के समान एक स्थान से अन्य स्थान पर लेजा सकते हैं. जब अपने को अपने मकान से कहीं बाहर जाना होता हे तर मिट्टी के मकान से निकलने के बादही जा सकते हैं मिट्टी के मकान को उठाकर बाहर नहीं जा सकते है । वैसे ही परलोक जाते समय इस शरीर रूपी मकान को यही छोड़कर जाना
पड़ता है। मिट्टी के साली मकान में अन्य मनुष्य आकर कटहर सकता है परन्तु साली पड़े हुए गरीररूपी मकान