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(५७) कपाय की वृद्धि के लिये प्रवृति करते हैं उनकी क्या गति होगी. ___आज आप लोगों के चहरे पर त्याग भावना धर्म __भावना और राग भावना दोनो दृष्टिगोचर होती हैं. राग भावना का प्रकाश सूर्य जैसा दीखता है पर त्याग भावना का प्रकाश दीपक जैसा है. सूर्य के प्रकाश के सामने दीपक का प्रकाश मंद पड़ जाता है. वैसेही आज त्याग भावना छिप गई है और रागभावना से शृगारी वस्त्र व आभूपण धारी दीख रहे हैं. लम के समय आप गलेमें माला, मुंह पर मुंहपत्ति, व हाथ में पूंजनी ले जाते हो या नहीं? उस भोग के स्थान पर त्याग के भंडोपगरण नहीं लेजात हो तो यहां त्याग के भुवन में शंगार करके आकर इसको शृंगार भुवन क्या बनाते हो?
संवत्सरी का दिन यह तो धर्म भावना की परीक्षा का दिन है विद्यार्थी परीक्षा के दिन फेल होजाये तो उसको एक वर्ष का नुकसान होजाता है परीक्षा के दिन वह पूर्ण सावधानी रखता है वैसे ही आपके लिये आज का यह दिन परिक्षा का दिन है किन्तु आज तो याप विशेष शृंगार सजकर आये हो. धर्म आराधना के लिये
आप नित्य की अपेक्षा विशेष बीमार दिखाई देते हो , जहांतक आरभ और परिग्रह से उदासीनता नहीं होती
यहां तक धर्म के सन्मुख होना मुश्किल है. आज आप विशेष प्रकार से आरंभ और परिग्रह से मज्ज होकर