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________________ ( ५५ ) ग्रहण करवाने का स्थान है. वैसे वस्त्रों को जाहिर खबर का यही स्थान है. वैसे वस्त्र खरीदने की दलाली करने वाले स्त्री व पुरुषो का सम्मेलन है. गरीब त्रियां व बालक बालिकाओं के लिये यह सम्मेलन दुःखदायी व अश्रु गिराने वाला है सेठानीजी की हीरा मोती की चूड़िये देखकर चांदी के चड़े वाली बाई लज्जित होजाती है अपने मन में दो आसू टपका कर अपने हाथो को छुपा लेती है पाठकगण! यह है आपकी संवत्सरी पर्वकी करुण कथा, इसमें कर परिवर्तन होगा और कौन करेगा? मुनिराज ने अंतगढ़ सूत्र फरमाया उसमें विश्वका सार आगया. श्रीकृष्ण जैसे तीन खंड के नाथ ने गरीव बुड्ढ़ा मजदूर की एक ईंट उठाई और श्रीकृष्ण के अनुसार उनकी सेना ने भी एक एक ईंट उठाई जिससे उस गरीब का दुःख दूर हुवा. सोमल ब्राम्हण ने गज मुफमार के सिर पर अग्नि रखी तर प्रभुने फर्माया कि हे कृष्ण सोमलने तेरे बंधु को मोक्ष जाने में सहायता दी है इससे ज्यादा सादगीव गुण ग्राहकता का आदर्श ज्वलंत बोध और कहां मिल सकता है. आज चार प्रकार के आहार का त्याग करक चार कपाय के भी त्याग करने के है. चौरासी लास जीपा योनियो से क्षमा मांगने की है, जो कीड़ो की दया पालता है वह परोक्षमें गाय की हिंसा कैसे करावेगा.? जो पृथ्वी, पानी, वनस्पति आदि जीवों से क्षमा मांगेगा वह मनुम्न से कैसे विरोध रक्खेगा. किन्तु आज कल नकल का
SR No.010061
Book TitleJain Shiksha Part 03
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages388
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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