________________
(५१)
रथ राजा ने अपने प्राण व राजपाट अर्पण कर दिये थे. सुदर्शन सेठ ने शील के लिये सूली पर चढना स्वीकार किया था ये अनेक महान पुरुषों के ज्वलंत उदाहरण ___ समाज के सामने हैं। इतने लंबे विवेचन का मतलब यही है
कि मोक्ष मार्ग व संसार मार्ग के लिये धर्म ही परम सुख दायक है. और इसकी शरण लेना चाहिये।
संप्रदाय भेद-एक ही अनाज को भिन्न भिन्न देशों में भिन्न २ गत से बनाकर खाते हैं गैहूं के विस्कूट पुड़ी, पोताये. रोटी, थूली, लपसी, सीरा और लड्डू आदि अनेक प्रकार के पदार्थ बनाकर क्षुधा की तृप्ति की जाती है और एक ही वस्त्र का कमीज, कुरता, हाफकोट, लांग कोट, ओव्हर कोट, अगरखी, दुपट्टा आदि भिन्न २ आकृति के वस्त्र से शरीर ढांका जाता है. सब का ध्येय क्षुधा तृप्ति और शरीर रक्षा है. उसी तरह आत्मिक भोजन मे धार्मिक अनुपान का समावेश किया जाता है धार्मिक अनुपान भिन्न २ हैं. सबके शास्त्र-गुरु-च आचार्य भिन्न भिन्न है किन्तु सबका ध्येय मात्र एक ही सुख प्राप्ति का है आविवेकवान दरजी एक थानको खराब करन के बाद कोट बना पाता है परन्तु कुशल दरजी छोटे टुकड़ों को योग्य रीति से काटकर उसका कोट बना लेता है इसी भांति मोक्ष मार्ग में अविधि का सेवन करने वाले को ज्यादा क्रिया सम्यक ज्ञान के अभाव मे करने की जरुरत होती है. पर मम्यक ज्ञानी शीन मोक्ष का आराधक होता है.