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( २५ ) भोजन में चींटी के आने से बुद्धि का नाश, जू से जलोदर, मक्ली से वमन, मकड़ी से कुष्ट रोग और लकड़ी के टुकड़े से गले में व्यथा होती है । इसी तरह शाकादि में विच्छू आने से वह तालु को तोड़ कर प्राण का नाश करता है, एवं गले में बाल के आ जाने से स्वर का भंग होता है इत्यादि अनेकों प्रकार के भय रात्रि भोजन करने वाले मनुष्यों के सिर पर रहे हुए हैं।
प्यारे चालको ! आप रात्रि के मोजन का त्याग
कीजिएगा।
पाठ १५-सोना। चरक में लिखा है कि सुख, दुःख, मोटापन, पतलापन, बलवान् होना, और निर्बल होना, ज्ञान और प्रज्ञान तथा जीवन और मरण सब निद्रा पर निर्भर हैं। ___ जब मन काम करते करते थक जाता है तब कर्मेन्द्रियाँ ( काम करने वाली इन्द्रियाँ जैसे-हाथ, पाँव, मुँह आदि) भी थक जाती हैं । उसी समय निद्रा आती है । कु-समय के सोने, प्रमाण से अधिक सोने या विल्कुल न सोने से