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( २४ ) होगा। क्योंकि रात्रि भोजन में दोष अपरिमित हैं । मायुष्य परिमित है और इस में भी वचन वर्गणाएँ यथाक्रम निकलती हैं । अब बतलाइये, छोटे आयुष्य में अपरिमित दोषों का सम्पूर्ण रीत्या स्पष्टीकरण कैसे हो सकता है ?
मुसलमानों के रीति-रिवाजों के देखने से मालूम होता है कि वे हिन्दू और जैनों से भिन्न ही हैं । एक ही दृष्टान्त. लीजिये । समस्त प्रार्य पूर्व और उत्तर दिशा को मानते हैं, तब मुसलमान पश्चिम दिशा को । इसी तरह आर्य, सूर्य साक्षी से भोजन करते हैं तब मुसलमान रोजे के दिनों में दिन को नहीं खाकर रात्रि में भोजन करते हैं । इस दृष्टांत से भी हम ऐसा मान सकते हैं कि हिन्दू और जैन समस्त आर्य प्रजर्जा को रात्रि भोजन नहीं करना चाहिये । ___ मुसलमान भाइयों में रात्रि भोजन का व्यवहार धर्म के पक्षपाती नेताओं ने शुरू किया है।
प्रायः जहां धर्म के झगड़े होते हैं वहां एक दूसरे के प्रवृत्ति की जाती है, चाहे हित हो या महितनों को हिताहित सोचकर धुरी रीतियाँ ( रूढ़ियाँ) दनी चाहिये।