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( २६ ) भी मनुष्य के सुख और आयु सव नष्ट हो जाते हैं । नींद ही के ठीक २ होने से मनुष्य को सुख मिल सकता है ।
जो लोग गाने, वजाने, पढ़ने, नशा पीने, बोझ ढोने, मार्ग चलने, मेहनत के काम करने से थक गये हों उन्हें दिन में सोना, लाभदायक है। इनके सिवा जिनके पेट में विमारी हो, जिनके शरीर में घाव हो, जो दुर्वल हों, तथा जो वृद्ध, बालक, दुर्वल और प्यासे हों, उनको भी दिन में सोना चाहिये । जो मनुष्य रात में अच्छी तरह न सो सका हो और शोक या मय से पीड़ित हो उसे भी दिन में सोने से लाम ही होता है । ग्रीष्म ऋतु को छोड़ कर और किसी ऋतु में दिन में नहीं सोना चाहिये । जो बहुत मोटे हो. या जिन्हें कफ की विमारी हो उन्हें दिन में सोने से हानि ही होती है । ऐसा मनुष्य यदि दिन में सो जाता है तो उसको कितनी ही विमारियाँ घेर लेती हैंजैसे सिर दर्द, देह में भारीपन, अंगों का टूटना, अग्नि का नाश, हृदय का भारीपन, कफ़ का बढ़ना, जुकाम,
आधाशीशी, फुन्सी, खुजली, खाँसी, ज्वर, इन्द्रियाँ की निर्बलता इत्यादि । इसलिये दिन में उन्हीं लोगों को सोना चाहिये जिनका वर्णन ऊपर किया गया है । देह रक्षा के