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________________ (४,०) गुमा देता है उपरोक्त प्राणियोंने सिर्फ अपनी अज्ञान दशा वश अपनी सामान्य इच्छा की पूर्ति के लिये पांव उठाया जिसमें उनके प्राण चले गये तो जो मनुष्य धार्मिक जीवन के पवित्र आशय को भूलकर लाखों जीवों की हाय लेकर अनंत जीवों की विराधना से पूर्ण ऐसा एक ग्रास का सेवन करता है उसकी क्या गति होगी ? । सम्पत्ति शालियों का धन विलास में ही व्यय होता है. पूर्ण खेद के साथ लिखना पड़ता है कि संवत्सरो का परम पवित्र दिन जो कि आत्मशुद्धि का दिन है भावदिवाली आत्ममेल को धोने का दिन, विषय व कषाय की मात्रा को घटाने का दिन है उसी दिन बाकी के ३५९ दिन से भी अधिक विषय कषाय की मात्रा के,सुवर्ण मय हार गले में, व हाथ में आभूषण दिखाई देते हैं और शरीर को रेशम के कीडों की आंतों से बनाये हुए कपडे से सजाया हुआ है. त्याग के दिन त्याग भुवन राग भुवन दृष्टिगोचर होता है पंचरंगी चटकीले वस्त्राभूषण में जनता सजी हुई मालूम होती है. त्यागशाला में जनता रागी व भोगी भेवर बनकर आई है यह परम आश्चर्य का विषय है, किसी राज्य सभा में जाने वाले को राज्य सभा के योग्य वस्त्राभूषण धारण करना पड़ते हैं लग्न के समय लग्न के योग्य स्मशान में जाते समय स्मशान के योग्य वस्त्र पहिने जाते हैं वैसे ही धर्म स्थान में भी धर्म के योग्य सादे वस्त्र पहिन कर आना - चाहिये किन्तु चमकीले भड़कीले वस्त्रों में से रेशम के
SR No.010061
Book TitleJain Shiksha Part 03
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages388
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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