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(४१) कीडों की आहे और गायें और भेंसों के समान निर्दोष पशुओं के पुकार की आवाज सुनाई पड़ती है. उन आवाजों से उन करुणामय आहों से धर्म स्थान भी गूंज रहा है उन्हों की दया आवाज क्या आप नहीं सुन सकते हैं ? किन्तु जिसको सादगी व शुद्ध खादी से प्रेम है वह सुन सकता है. क्या अन्य उस करुणामय नाद को सुनने का अधिकारी नहीं है ? रेशम की उत्पत्ति के लिये नित्य लाखों कीडे मारे जाते है और चरवी वाले वस्त्रों के लिये नित्य हजारों गायें काटी जाती हैं. उन सब का पाप विलास प्रिय भाई व वहिनों को लगेगा. मांस खाने वाला अगर मांस खाना छोड दे तो कसाई गायें क्यों मारें ? मांस खाने वाला कसाई को गायें काटने के लिये परोक्ष मे आज्ञा देता है मांस खाने वाला पैसे देकर कसाइयों से काटने के लिये गायें खरिदवाता है मांस खाने वाले कसाइयों को धन्यवाद देते हैं मांस खाने वाले कसाइयों के धंदे को उत्तेजना देते हैं. मांस खाने वाले वेकारों को कसाई का धंदा करना सिखाते है. ऊपर के सून जैसे मांस खाने वालों को लगते है वैसे ही यही सूत्र परोक्ष में चरबी वाले और रेशम के कपडे पहिनने वालों को, हस्तिदंत के चूडे पहिनने वालों को व पहिनाने वालों को भी लगते हैं. रेशम व चरखी से बने हुए वस्त्रों के व्यापार फाप पहिनने का त्याग कीजियेगा अगर जनी ही रेशम प चरबी वाले वस्त्रों से मोह न पटावेंगे तो फिर अन्य कौन घटायेंगे?