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गये हैं. वे संयोग करने के योग्य हैं या नहीं इसके लिये उनकी डाक्टरी जांच कराई जाती है. परन्तु भारतीय मनुष्य समाज का जीवन पशु समाज से भी गया बीता हैं, वालविवाह, वृद्ध विवाह, अनमेल विवाह, अयोग्य विवाह, रोगी विवाह, एक से अधिक स्त्रियां रखना, एक स्त्री के मर जाने पर दूसरा विवाह कर लेना, आदि अनेक विकार मनुष्य समाज में घुस गये हैं ।
इंग्लैंड के उच्च घरानों के गृहस्थ भी एक स्त्री के होते हुए दूसरी से विवाह नहीं कर सकते हैं. परन्तु भारतवर्ष में आज एक साधारण मनुष्य जो मृत्युपथ पर लगा हुआ है एक स्त्री के होते हुए दूसरा विवाह कर सकता है. १५ वर्ष की एक विधवा सामाजिक बंधन के कारण कर्तव्य वश ब्रह्मचर्यव्रत पालन करके अपना पवित्र जीवन बिताती है परन्तु उस लड़की का ३० वर्ष की उम्र का पिता और ४५ वर्ष की उम्र का दादा अगर लड़की की माता और दादी मर जाय तो वे फौरन लग्न कर लेते हैं १५ वर्ष की उम्र के लड़के का अगर ३०, ४० या ५० वर्ष की बुढी औरत से लग्न करने का निश्चय किया जावे तो क्या वह लड़का ऐसा विवाह करना स्वीकार करेगा और ऐसे विवाह में कोई शरीक होगा ? जैसे १५ वर्ष के लड़के का एक बुड्ढी औरत के साथ विवाह करना घृणास्पद निंदनीय व धिक्कार योग्य है वैसे ही छोटी उम्र की कन्या का ३५, ४०