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पड़ा कि उसने जंबुकुमार को अपना धर्म गुरू बना लिया धन की गठरी वहीं पर छोड़कर जंबूकुमार के चरण में गिर गया, और उनके साथ ही प्रातःकाल होते ही दिक्षा लेने का उन्हें अपना निश्चय दर्शाया अहा ! कहां तो यह प्रभव चोर और कहां आजकल के साहुकार, प्रभव चोरी करने के लिये जंबूकुमार के वहां गया परन्तु धर्म प्राण जंबूकुमार ने प्रभव को लूट लिया. जंबूकुमार कोलूट लेने में ५०० चोरों की शक्ति काम न दे सकी, परन्तु ५०० चोरों को लूट लेने के लिये एक उदासीन जंबुकुमार के शब्द ही पर्याप्त हो गये ।
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चोरी का सामान लेकर जाने वाले प्रभन चोर ने वैराग्य रूप धन अंगीकार किया तो क्या अपने को जैनी समदृष्टि व श्रावक कहलाने वालों का हृदय चोराचार्य से पवित्र न होना चाहिये ? क्या आप चोराचार्य जितना भी ' त्याग नहीं करेंगे ? अनेक संवत्सरियां व्यर्थ चली गई हैं। कम से कम इस संवत्सरी को तो सफल बनाइयेगा. संयम न लें तो कम से कम सत्यतासे प्रमाणिक जीवन विताने ' की ही प्रतिज्ञा लीजियेगा ।.
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ब्रह्मचर्य और स्त्रियों का महत्व
चौथा व्रत त्रह्मचर्य का है. पहिले आप पढ़ चुके हैं
कि युरोप में पशुओं के लिये भी ब्रह्मचर्य के निय
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