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________________ या ५० वर्ष के बुड्ढे से विवाह करना अन्याय और घोर अपराध है. जैन शास्त्र व वैदिक ग्रंथों में भी स्त्रियों का महत्व विशेप समझा गया है जैसे सीताराम, गौरी शकर, राधाकृष्ण आदि नामों में प्रथम सीता, गौरी व राधाजी का नाम है याने प्रथम स्त्री का नाम है व पीछे पुरुप का नाम है. जैन शास्त्र में ऋपभप्रभु ने प्रथम अपनी दोनों लड़. कियों को भापा व गणित सिखाया रेवती जयंती आदि अनेक श्राविकाओं ने समोसरण की जाहिर सभा में प्रभू महावीर स्वामी से प्रश्नोत्तर किये हैं। जैन शासन में स्त्री और पुरुष दोनों के हक समान हैं. वैदिक शास्त्र में भी आप स्त्री जाति का महत्व पढ़ चुके हैं. वर्तमान काल में स्टीमर (जहाज ) कंपनियों का यह कायदा है कि अगर स्टीमर में दुभाग्यवश कभी आग लग जाय तो प्रथम लड़कियां बचाई जाये उसके बाद लड़के व उनके बाद औरतें व इनके बाद मनुष्यों को बचाने के लिये विचार किया जावे. अगर रक्षा करने का अवसर न होतो मनुप्य, लड़कियों और औरतों की रक्षा का प्रयत्न करते हुए जल जावेंगे. मर जावेंगे. स्त्री जाति का पश्चिम देश में इतना महत्व व आदर होने से पश्चिम देश सब प्रकार से उन्नति के शिखर पर चढ़ा हुआ है. परन्तु इस भारतवर्ष में अन्य सब जातियों की अपेक्षा भी जैन जाति विशेष अवनति की ओर है।
SR No.010061
Book TitleJain Shiksha Part 03
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages388
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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