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(२१) उपरोक्त कथन से आप समझ गये होंगे कि राजा मे जितनी बुद्धि होती है उतने प्रमाण में वह गुन्हें का विचार करके अपराधी को दंड देता है परन्तु शास्त्रकारो ने (धर्म शाशन के कर्ता) तो उनके अनंत ज्ञान से विश्व में चराचर सूक्ष्म, बादर, बस, स्थावर आदि अनेक सूक्ष्म जीव देखे तव उनकी रक्षा न करने वालों को भी अपराधी माने और उनकी रक्षा के लिये कायदे बनाये हैं.
विज्ञान की दृष्टि से अहिंसा ज्यों ज्यो विज्ञान उन्नति करता जाता है त्यो २ कायदो मे परिवर्तन होता जाता है. विज्ञान वेत्ता अब पृथ्वी, जल, अग्नि हवा और वनस्पति मे जीव मानने लगे हैं. जल हवा और वनस्पति के जीवों के उन्होंने चित्र लिये हैं एक बूंद जल में विज्ञान वेत्ताओने ३६४५० जीव गिनकर बताये हैं सुई के अग्र भाग के बराबर हवा में विज्ञान वेत्ताओंने थैकसस् नाम के दस लाख जीवों की गिनती की है. इस प्रकार चैतन्यवाद का प्रचार होरहा है. और युरोप में बहुत से मांस निषेधक मंडल खुलते जा रहे हैं. और उनमे कई मेंम्बर गाय का दूध, दही और घी खाने में भी पाप मानते है, उनका कथन