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________________ ( २० ) 'जीवों की भी रक्षान करने वालोंको दोषी बताता है. राज्य शाशन में मनुष्य की रक्षा के लिये जैसे कायदे व सजाएं बताई है उस भी विशेष कायदे और विशेष सजाएं पृथ्वी, पानी, अग्नि, हवा वनस्पति कीड़े मकोडे और मच्छर आदि जीवों को कष्ट देने वालों को देना बतलाया है. स्कंधकजी ने काचरे की फक्त खाल ही उतारी थी उसके फल स्वरुप साडे बारह क्रोड़ भव के बाद उनको प्राण दंड की सजा भुगतनी पड़ी. परन्तु अंग्रेजो के राज्य शाशन में मनुष्य रक्षा के जो कायंदे बने हुए हैं. उनम गाय भैंस बैल और बकरे आदि जानवरों को काटने वाला गुन्हेगार नहीं माना जाता है. इतनाही नहीं परन्तु राज्यकर्मचारी स्वतः उपरोक्त जीवों को कत्ल कराते हैं. अंग्रेजी राज्य में किसी भी प्रकार के पशुको काटने की मनाई नही है. मुसलमानों के राज्य में शूअर काटने की 'मनाई है हिन्दू राज्यों में गाय और कबूतरी, मोर इनके मारने की मनाई है. राज्यकी जितनी शान व बुद्धि उस प्रमाण में वहां उसे गुन्हा मानकर कायदे बनाये हुए हैं. जैन राजा कुमारपाल के राज्य में किसी कोड़ी मकोड़ी जूं लीख खटमल को भी मारने की मनाई थी. और इन जीवों को मारने वालों को हित शिक्षा देने के लिये खुफिया पोलिस रखी गई थी. राज्य के हाथी घोड़े, गाय व भैस भी बिना छना हुवा जल नहीं पिलाया जाता था
SR No.010061
Book TitleJain Shiksha Part 03
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages388
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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