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दिया है. राज्य के कानून कायदे भी श्रावक के व्रतों के आधार पर बने हैं.
धर्म तत्व ही संसार के राज्य का व मानव जीवन का प्राण है. ऐसे अमूल्य तत्त्व को खो देने वाला कितनी नुकसानी में रहता है और उसको कितने भयंकर कष्ट का सामना करना पड़ता होगा उसका आप स्वयं विचार करें राज्य के कायदों से अनजान या राज्य के कायदों का पालन न करने वाले अभियुक्त या अपराधी, मिथ्या बोलने वाले, चोर, व्यभिचारी, और लोभी को प्राण दंड तक की सजा मिलती है, तो धर्म के कापदो का उलंघन करने वालों की कौनसी गति होगी इसका विचार आप स्वयं ही कीजियेगा, सर्प सिंह अग्नि और अफीम को न पहिचानने वाले की जान हमेशा जोखिम में रहती है. इनके कारण मनुष्य की मृत्यु तक होजाती है. सर्प के अनजान को सर्प, राज्य की अपेक्षा भी कठोर सजा देता है अफीम जड़ वस्तु होते हुए भी उसका दुरुपयोग करने वाले को वह भी राज्य की अपेक्षा अधिक सजा देती है. राज्य में तो अपराधी के आशय विचार ध्येय और जीवन की जांच की जाती है और कभी २ खूनी को भी निरअप - राधी ठहराकर छोड़ दिया जाता है. परन्तु उपरोक्त पदार्थ तो सबको समान सजा देते हैं धर्म तत्व के कायदे कानून बहुत ही सूक्ष्म हैं. धर्म तो मन, वचन, काया और आत्मिक गुन्हे को भी गुन्हा समझता है, धर्म स्थावर