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( १८ ) और मोती की अपेक्षा सबसे विशेष मूल्यवान __ पदार्थ हवा है. अज्ञान प्राणी हीरे, माणिक और मोती
की रक्षा करता है और हवा जीवन के लिये कितनी मूल्यवान है इसका उसे कुछ भी ज्ञान नहीं है. हवा क्या है मेरे लिये वह कितनी उपयोगी है, कितनी मूल्यवान है. उसका उसे ज्ञान ही नहीं है. और हवा के तत्व को समझने के लिये वह अत्यंत ही लापरवाह है और हवा को आवश्यक पदार्थ तक न समझने की धृष्टता करता है हवा से भी अनंत सूक्ष्म धर्म तत्व है और वह धर्म तत्व हवा से भी मनुष्य जाति के लिये अनंत गुणा ज्यादे उपयोगी है. हवा के बिना मनुष्य कुछ मिनिट जीवित रह सकता है किन्तु धर्म-प्राण के सिवाय तो एक सेकंड के क्रोडवें हिस्से जितने समय तक भी नहीं जी सकता है धर्म तत्व जितना आवश्यक है उसे मनुष्यों ने उतनाही अनावश्यक समझ रक्खा है.
कुदरतने राज्य व्यवस्था बनाई है और राज्य के कानून मनुष्य पालते हैं. परन्तु वे राज्य के कानून भी तो धर्म तत्व के ऊपर रचे गये हैं जिससे संसार का व्यवहार चलता है. अगर पिनल कोड रचयिता धारा
शास्त्रियों ने धर्म शास्त्रकार की शरण न ली होती तो __ संसार की व्यवस्था ही नहीं चल सकती थी सब धर्मोंने
6 , सत्य, अदत्त और ब्रह्मचर्य व संतोष पर जोर