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है कि माता का दूध पुत्र ही पी सकता है. और गाय भैंस व बकरी का दूध पीने का मनुष्यों को कोई अधिकार नहीं है. वह दूध तो उनके बच्चों को ही पिलाया जाय इस सिद्धान्त के अनुसार वे लोग मांस खाने का व दूध दही और वी खाने का भी निषेध कर रहे हैं. पश्चिम के लोग पहिले परलोक नहीं मानते थे अब वे लोग परलोक को भी मानते हैं. और जिसके फल स्वरुप बहुत से राज्यों ने फांसी की सजा उठा दी है. और गुन्हेगार को धार्मिक संस्कार से पवित्र बनाते हैं.
युरोप के कैदियों को भी जेलखाने में वायविल सुनाई जाती है. और उनके साथ अच्छा व्यवहार किया जाता है. यहां तक कि वे लोग चोर, खूनी और मिथ्यावादी को भी एक प्रकार की बिमारी से पीडित समझते हैं.
और उसके व्यसन व दुर्गुणों को छुड़ाने के लिये पूरा प्रयत्न करते हैं. धीरे २ वे लोग हिंसा की सूक्ष्मता को समझते जाते हैं और जिसके फल स्वरूप उन्होंने निंदा निषेधक मंडल खोल दिये हैं और उन मंडलों का नाम Pad lock society. है. उस सभा का सदस्य किसी की भी निंदा नहीं करता है और निंदा सुनता भी नहीं है निंदा को अंग्रेजा म Back bite कहते हैं जैन शास्त्रकार पिट्ठी मंसं कहते हैं दोनों का भावार्थ एक ही है निंदा करना यह मनुष्य की पीठ का मांस खाने के बरावर है. Cow has no soul but dog has soul गाय