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( १५) की तैयारी करेगा। कई धर्म धुरीण श्रावकों को वृद्धावस्था में भी धन और परिवार बढ़ाने की चिंता में रातदिन व्यस्त देखा जाता है। ऐसों को आस्तिक कहना चाहिये या नास्तिक ? । वेश्या अपने को वेश्या कहती हुई घृणित धंदा करती है और एक सती कहलाकर वेश्या का कर्म करती है। दोनों में अधिक पापी कौन ?
. इसी तरह एक तो खुद को नास्तिक कहता है और • दूसरा आस्तिक कहलाकर नास्तिक के कर्म करता है ।
अतएव ऐसे कर्म करने वाले को क्या कहना चाहिये ?
इन्दौर के संवत्सरी-व्याख्यान पर से. . धर्मतत्व-विश्वका सम्पूर्ण व्यवहार धर्म से ही चलता है. धर्म के अभाव में व्यौपार अथवा राज्य व्यवस्था भी नहीं चल सकती है. राज्य सत्ता से धर्म सत्ता बलवान है. इसी कारण से राज्य-सत्ता धर्म-सत्ता पर आश्रित है. विश्व के छोटे बड़े सब व्यवहार धर्म से ही चलते हैं. आप पाठकगण इस पुस्तकको धर्म भावना से. ही पढ़ रहे हैं. यों तो ८४ लाख जीवायोनीयों में से भी भ्रमण करते हुए धर्म की सहायता से ही यहां आपने मनुष्य भव में जन्म लिया है. जहां तक धर्म रुपी धन आपके पास है वहां तक आप सेठ साहुकार, पति, पिता