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श्रीआत्म-बोध
कुसंतान और सुशील सुसंतान तुल्य है ।
(२७ ) समय पलटता ही है किन्तु वृत्तिएँ पलटती है क्या?
(२८) वेदाती ईश्वर को और जैनी कर्म को प्रधान पद देकर पुरुषर्थ हीन हो रहे हैं। यह तत्त्व का दुरुपयोग है, शाल का शस्त्र बनाना है
(२९) ज्ञान प्राण है और क्रिया शरीर है।
(३०)प्रातः समय प्रभु का नाम लेते हो या तम्बाकू, बीड़ी, चाय आदि कुव्यसनो का ?
(३१) महावीर के भक्त शूरवीर और धीर थे । सुदर्शन श्रावक ने मोगरपाणी यक्ष का सामना किया था और उसको पराजित कर भगा दिया था। निर्भय व सत्य शीलधारी पुरुष सदा अजेय होते हैं
(३२)पूर्व काल मे कन्या दान के साथ गौ दान देने का रिवाज था। आज विषय वर्धक वस्तुओ का दान दिया जाता है।
(३३) युरोपियनो ने तुम्हारा कितना अनुकरण किया ? और तुमने उनका कितना अनुकरण किया ? प्रायः मौज शोक का अनुकरण किया है परंतु साथ पुरुषार्थ, धैर्य ऐक्य उदारता आदि उनके नहीं लिये।
(३४) दस मनुष्य की रक्षा करने योग्य एक युवा श्रीमंत की रक्षा के लिये दस मनुष्य नौकर चाहिये।
(३५) विलायती घी और आटा सस्ता देते है और यहाँ के घी और आटे को महंगे दाम से वे लोग खरीदते हैं इसके रहस्य को कब समझोगे ?
(३६ ) दूध, दही, घी कीमती या वीर्य ?