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श्री आत्म-वोध
( ६ ) दुष्काल का मुख्य कारण श्रीमन्तो की फिजूल खर्ची है ( व्याह के और नुगते के जीमण, मुख्य कारण हैं) । ( ७ ) देशावर जाते समय पुत्र के पीछे रोना अमंगल, मृत्यु के बाद रोना भी महा अमंगल है |
वैसे
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( ८ ) मृत्यु समय पश्चाताप करना होगा कि मैने ठोस ठोस कर खाया, तिजोरी मे जमा किया। किन्तु दुखी, दरिद्री और गरीब को न खिलाया । सुमार्ग मे दान न दिया ।
( ९ ) हाथ से काम करने मे कष्ट मानने वाली सेठानियो । यह कष्ट क्या प्रसूति समय से भी ज्यादा है ? हाथों से काम करना बन्द करने ही से प्रसूति की वेदना होती है यह काम कंकरी की मार से बच कर गोली की मार मजूर करने तुल्य है ।
(१०) एक बैल गाड़ी बनाने की क्रिया, और रेल के डिब्बे को बनाने की क्रिया का क्या विचार भी किया है ?
( ११ ) खादी मे रेटिये की क्रिया और मिल मे बनते हुए कपड़े में सर्व मिल की क्रिया लगती है ।
( १२ ) भिखारी श्रीमंत या गराब ?
( १३ ) भिखारी सूखी रोटी के टुकड़े के लिये भीख माँगता है जब कि श्रीमान सीरे पूड़ी के लिए | भीखारी मॉग कर लेता है जब कि आज श्रीमंत प्रायः झूठ कपट चोरी से जगत् का - धन हरते हैं और कुमार्ग भोग में लगाते है ।
(१४) लुटेरे से शाहूकार का त्रास जगत में बढ़ गया है । - इसी से सुख सम्पत्ति और शान्ति घट रही है ।
( १५ ) कचहरी मे लूटेरों से शाहूकारो के केस ज्यादा -चलते हैं ।