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श्रीआत्म-बोध
रात्रि को देखते रहते हैं कि शायद यह गुप्त रीति से खाना खा न ले।
(४५) तीन दिन के बाद उपवास में कठिनाई मालूम नही पड़ती है।
(४६ ) टूटी हड्डी का जुड़ना और बन्दूक की गोली की मार का भी उपवास से आराम पहुँचता है।
(४७) पशु पक्षी भी रोगी होने के बाद तुरत आराम न न हो वहाँ तक खाना पीना छोड़ देते हैं।
(४८) कफ, पित्त और वायु मे बधघट होने से रोग होता है।
(४९) वायु का सात दिन में, पित्त का दश दिन मे, कफ का रोग बारह दिन में अन्न न लेने से ( उपवास करने से) आराम होता है और रोग नाश हो जाता है।
(५०) दवाई से थककर अमेरिकन डॉक्टरो ने उपवास की अनादि सिद्ध दवाई शुरू की है।
(५१) जो दवाई नहीं करता है वह सब रोगियो से ज्यादा सुखी है।
(५२) भूख न लगना रोग नहीं है किन्तु जठराग्नि की नोटिस है कि पेट में माल भरा हुआ है।' नये माल के लिए स्थान नहीं है । एकाध उपवास कीजिएगा।।
(५३) उपवास करने से शरीर दुखता है, चक्कर आते है । मुँह का स्वाद बिगड़ता है। इसका प्रयोजन यह है कि शरीर में से रोग निकल रहा है।