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श्रीआत्म-वोध
(३) बारी बारणे, बंध करके सोने के बाद बारी खोलने से शरदी लगती है किन्तु हवा मे सोने से शरदी नहीं लगती है । ज्यादा भोजन करने से मज सड़ने से दिमाग मे दर्द व शनेखम आदि होते हैं।
(४) शरीर के लिये हवा, बहुत कीमती पदार्थ है हवा से शरीर को कभी नुकसान नहीं होता है।
(५) शरीर मे अन्न जलादि के सिवाय सर्व वस्तु विप का काम करती हैं।
(६) शरीर अपने भीतर रात्रि दिन भाडु देकर रोग को बाहिर निकालता है।
(७) उपवास (लंघन ) करने से जठराग्नि रोग को भस्म करती है।
(८) बुखार आने के पहिले बुखार की दवा लेना यह निकलते विष को शरीर मे बढाने के समान है।
(९) ऐसा एक भी रोग नहीं है जो उपवास (लंबन ) से न मिट सके।
(१०) स्वाभाविक मृत्यु से दवाई से ज्यादा मृयु होती है। (११) एक दवाई शरीर मे नये बीम रोग पैदा करती है। (१२) अनुभेवी। डाक्टरो को दवाई का विश्वास नहीं है।
(१३) विना अनुभव वाले डाक्टर दवाई का विश्वास करते है।
(12) दनिया को निरोगी बनाने का बडे बडे डाक्टरों ने एर दलाज टढा है। वह यह है कि दवाइयां को जमीन में गाड़ दो।