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________________ श्रीआत्म-बोध २९ (छ काय सिद्धि भाग १) (तर्क, अनुमान और वैज्ञानिक दृष्टि ) मुमति-भाई जयत, छ काय क्या । जयत-सर्वदा प्रभु ने ससारी जीवों को छ प्रकार मे पहिचाना है। उन देह धारी जीवो को छकाय कहते है। सिद्ध (मुक्त) जीवो के सिवाय सारे ससारी जीव छकाय मे श्रा जाते हैं। सुमति-छकाय के नाम कहोगे भाई ? जयत--मित्र सुमति सुनो, १ पृथ्वी काय ( माटी पत्थर 'प्रादि मे रहने वाले जीव ), २ अपकाय (जल के जीव ), ३ ते उकाय (अग्नि के जाव), ४ वाउकाय ( हवा के जीव) ५ वनम्पतिकाय (लीलोतरी, कदमूल, काई के जीव ), और ६ सकाय (हिलसे डुलते जीव-रेइन्द्रिय से पञ्चेन्द्रिय तक), सुमति--तो भाई क्या उसकाय के सिवाय दूसरे जीव हिलते दुलते नहीं। जयत--ता, भाई, । दूपरे सब जीव एक स्थान में पड़े रहते हैं। इसीलिए इन जीवो को स्थापर (स्थिर रहने वाचे ) जीव कहते हैं। वे आपसे पाप हिलडुल नहीं सकते। सुमति-भाई जयत । पृथ्वी आदि स्थावर (स्थिर रहने पालो ) मे जीव है क्या ? उनकी प्रतीति जैसे हो? वे दिखाई तो देते नही, फिर मानने में कैसे पाये। जयत-भाई, 'अपना ज्ञान ऐला निर्मल नहीं कि जिमसे अपन सब जान सके । यूरोप और अमेरिका की हकीकत समाचार
SR No.010061
Book TitleJain Shiksha Part 03
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages388
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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