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[ ४२ ] ने कुल्हाड़ा उठाया और चट से लकड़ी पर दे मारा । कुल्हाड़ा लगते ही लकड़ी फट गई और भीतर से जलते हुए नाग और नागिन निकल पड़े । चारों ओर सन्नाटा-सा छा गया। ___ कुमार ने उन प्राणियों का इलाज किया और उन्हें धर्म का उपदेश सुनाया । इस उपदेश के प्रताप से वे मरकर देवलोक में देवता हुए । इनके । नाम धरणेन्द्र और पद्मावती हैं।
प्यारे बालको, यह सदा याद रखो, धर्म वही है जिससे किसी को भी दुःख न हो। आप सदा दया धर्म का पालन करें और दुखियों का पालन करके उनको भली सीख दें।
२८-वीर बालक अयवंता कुमार. एक वार अयवंता कुमार खेल-खेल में गुरु बनकर दूसरे सब लड़कों को हित-शिक्षा देने लगे। लड़कों की एक सुन्दर सभा जुड़ी हुई थी। इतने में श्री गौतम गणधर राह चलते दिखाई दिए। एक त्यागी मुनि को देखकर अयवंता कुमार बड़ी