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________________ [३३] माता-देखो बेटो, दावात चुराये जाने से तुझे कितना दुःख हुआ ? ऐसे ही औरों को भी होता है । इसलिए बेटो, बिना पूछे किसी को चीज़ मत छूना। ऐसा करना चोरी है। शांति-हाँ माताजी, मैं तो ऐसा कभी नहीं करूँगी। सचमुच चोरी करना बड़ा पाप है। २१-भावना--चौपाई मच योलें सच बात विचारें। भले काम कर जन्म सुधारें देश जाति का मान बढ़ावें । ऐक्य करें सन्मान कमावें छोटे बडे सभी मिल जावें । गिरे हुए को तुरत उठावें थीते झगड़ों को विसरावें ।आगे के हित नेह जुटावें भाई भाई को न सतावें । कड़ी बात से जी न दुखावें दुखियोंका दुग्व दूर भगावें। सबको सुग्व देकर सुख पावें विपत पड़े पर साथ न छोड़ें। बुरी बात से नित मुख मोड़ें दया धर्म को खूब निभावें । अरिहंतों को सीस झुकावें
SR No.010061
Book TitleJain Shiksha Part 03
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages388
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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