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[३२] किसी को दुःख मत देना । रमण-हाँ, माँ, मैं कभी किसी को दुःख नहीं __ पहुंचाऊँगा।
X X X X चचा-रसिक ! मुँह उतारे क्यों बैठा है ? रसिक-काका, बहिन झूठ बोलती है। चचा-क्या झूठ बोलती है, बेटा ! रसिक-वह मुझसे कहती है, तूने मेरी पुस्तक
फाड़ डालो। चचा-अच्छा बेटा, मैं बहिन को समझा दूंगा।
उसने तुझे झूठा दोष लगा दिया। इससे जैसे तुझे दुःख हुआ वैसे दूसरों को भी होता है । इसलिए तू भी कभी झूठ मत बोलना ।
माता-उदास क्यों है, बेटी शान्ति ? शांति-माताजी, किसो ने मेरी दावात चुराली ? माता-इससे क्या हो गया ? शांति-मुझे बड़ा दुःख हो रहा है । मैं कैसे
लिखूगी?