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कहा - मेरा पेट दुखता है । पर लोगों ने समझा कि यह किसी पेट दुखनेवाले की नकल करता है। किसी ने उसकी बात सच्ची न मानी, न उसे दवा दी ।
अन्त में बहुरूपिया ने विचार किया— देखो, मैं झूठ बोलता हूँ, इसी से लोग मेरी बात सच्ची नहीं मानते । अब मैं झूठ न बोलूँगा । अनीति से धन नहीं जोडूंगा। नीति का पालन करूँगा । अनीति करने से बहुत दुःख उठाना पड़ता है ।
फिर बहुरूपिया नीति का पालन करने लगा ।
८- नीति
जो जीवन को सुधारे उसे नीति कहते हैं । वह कई तरह की है । जैसे
१- सबका भला करना । । २--सच बोलना ।
३ – ईमानदारी रखना |
, ४-- चालचलन अच्छा रखना । ५-- संतोष रखना |
.६ --क्षमा रखना ।