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पितृतुल्य स्नेहधारी
श्री नन्दनकुमार, हीरालाल मन्नूलाल
जुमती बाजार, मेरठ लाला तनसुखरामजी को मै अपने पिता के समान मानता था। सेवा का भाव मेरे हृदय में उनकी गतिविधियो को देखकर हुआ। वे जहा पहुच जाते वही के युवको मे उत्साह का सचार कर देते थे । उमग और उत्साह की साक्षात् मूर्ति थे । जैन समाज के अद्वितीय रल थे।
सफल कार्यकर्ता
श्री रतनलालजी
Ex. ML.A. उन्होने परिपद् मे कधे से कंधा मिलाकर बड़ा कार्य किया था। उनके प्रयास से परिषद् लोकप्रिय वन गई थी।
चमकते हुए हीरे
श्री जगत प्रसादजी
बम्बई भाई तनसुखरायजी के प्रति मेरे मन मे अगाध प्रेम था । मैं किन गन्दी मे उन्हें व्यक्त करू ? वे जैन समाज के ऐसे चमकते हुए हीरे थे जिन पर सभी को गौरव होता था। राष्ट्रप्रेम उनमे कूट-कूट कर भरा था। जब समाज से जाति के क्षेत्र में आए तो उन्होने आभातीत कार्य किया। परिषद् और वे एकार्थवाची हो गये थे। मैं उनके प्रति श्रद्धाजलि अर्पित करता है।
कुशल कार्यकर्ता
रायवहादुर सेठ श्री हीरालाल जैन 'भैयासाहव
कल्याण भवन, इन्दौर लाला तनसुखरायजी का सार्वजनिक क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण स्थान था। मामाजिक कार्यों में उनकी विशेष रुचि थी। जलसा और दूसरे सार्वजनिक कार्यों की व्यवस्था करने में वे अत्यन्त पटु थे। दिल्ली में जो उन्होंने मेरा सार्वजनिक स्वागत कराया वह मुखद स्मृति सदैव याद रहेगी।
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