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साहसी तेजस्वी नररत्न
सेवा का कार्य महान है, सेवा करने वालो को कदम-कदम पर कठिनाइया उठानी पडती हैं। यदि काम बिगड गया तो सब जी भर के बुराई करते हैं और कदाचित् काम सफल हो गया तो उसका श्रेय उस व्यक्ति को न देकर अन्य को देना चाहते है । स्वय तो करना नही चाहते और यदि कोई कर रहा हो तो उसकी प्रणसा न करके बुराई टटोलने मे लगे रहते हैं । यही कारण है कि हमारे यहा अच्छे समाजमेवक और उत्तम कार्यकर्ताओ का अभाव है । परन्तु कुछ ऐसे तेजस्वी नर-रत्न होते हैं जो इन बातो की चिता नही करते । अपना धर्म मानकर देश श्रौर समाज की सेवा करते है। लाला तनसुखरायजी ऐमे ही थे जिन्होने कार्य करते किसी की परवा नही की और जिस काम को अच्छा समझा दृढ सकल्प से कर डाला ।
रायबहादुर वा० दयाचन्दजी जैन एक्स चीफ इंजीनियर, दरियागंज, दिल्ली
'उनके प्रति श्रद्धाजलि अर्पित करता हू थोर भगवान् से प्रार्थना करता हू कि हमारे समाज मे अच्छे लोक-सेवक जन्म लें ।
सर्वतोमुखी प्रतिभा
आज देश मे मासाहार का प्रचार बढ रहा है, भ्रष्टाचार की अधिकता है । चीजो में मिलावट का रोग इस तेजी से बढता जाता है कि शुद्ध पदार्थ खाने तक को नही मिलते । शरीर को वलिष्ठ श्रीर शक्तिशाली बनाने के लिए शुद्ध घी, दूध की प्रावश्यकता है। लालाजी की दृष्टि इस घोर गई। उनकी प्रतिभा सर्वतोमुखी थी । उन्होने बम्बई के मेयर सेठ श्रासकरनदासजी की अध्यक्षता मे घी-दूध मिलावट निषेध कान्फ्रेंस की और पूरे जोर-शोर के साथ उसका प्रचार किया जिसका अच्छा फल हुप्रा और शाकाहार के प्रचार के लिए Vegetarian Conference की और समिति बनाकर महत्वपूर्ण कार्य प्रारम्भ किया जिसकी आज वडी आवश्यकता है। मैं युवको का ध्यान इस ओर श्राकर्षित करना चाहती हू कि वे लालाजी के अधूरे कार्य को पूरा करें । शाकाहार के सम्बन्ध मे अपनी रुचि लगावें । मैं उनके प्रति अपनी श्रद्धाजलि अर्पित
करती हू ।
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सर्वश्री कान्ता जैशीराम मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी, दरियागंज, दिल्ली