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सेठ इन्दरमलजी हैदराबाद
कान्फ्रेन्स की हार्दिक सफलता चाहते है ।
श्री मोतीलालजी सिकन्दरावाद -
सिरोही राज्य द्वारा लगाये गये टॅबस अन्यायपूर्ण है । जैनियो को भरसक विरोध करना चाहिए, सफलता की कामनाओ के साथ |
श्रीमान् राजा दीनदयाल सिकन्दराबाद
दिलवाडा के मन्दिरो के टैक्सो का जोरदार विरोध कीजिये । सभापति के समर्थ नेतृत्व मे हर प्रकार की सफलता की श्राशा करता हूँ ।
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सेठ परमानन्द के. कापडिया, बम्बई -
इस अवसर पर जैनों के सगठन को अमूल्य आवश्यकता है । मैं आपके कान्फ्रेन्स के प्रयत्नो की सफलता के लिए प्रार्थी हूँ ।
सेठ गुलाबचन्दजी टोग्या, आनरेरी मजिस्ट्रेट, मथुरा
कान्फ्रेन्स द्वारा श्राप जो प्रश्न उठाया है वह अत्यन्त महत्वपूर्ण है। एक ऐसे समय मे जब कि भारत सरकार की यह स्पष्ट घोषणा है कि प्रत्येक भारतीय अपने अपने धर्मानुसार कार्य कर सकता है और उन्हे अपने तीर्थस्थान पर जाने का पूर्ण अधिकार है । ऐसी अवस्था मे भी सिरोही राज्य १९वी शताब्दी के स्वप्न देखता हुआ उन स्थानो पर जैन यात्रियो से टैक्स वसूल करता है, जो जैनियो के ही बनाये हुए है और जैनियो की ही सम्पत्ति है । ऐसे सार्वजुनिक प्रौर दर्शनीय स्थानो पर किसी सरकार द्वारा टैक्स जारी करना तब उचित समझा जाता है जब कि वह टैक्स उन स्थानो की उन्नति एव प्रबन्धार्थ लगाया गया हो । केवल सार्वजनिक हितो मै खर्च किया जाता हो । किन्तु हम देखते है कि सिरोही सरकार यह कार्य केवल अपना कोप भरने के लिए कर रही है । सिरोही सरकार का कर्तव्य है कि इस टैक्स से यात्रियो को सर्वथा मुक्त कर दे ।
हीराचन्दजी मन्त्री महावीर, परिपद, विशनगढ़
महावीर जैन परिषद की श्रीर से हम श्रावू के टैक्सो के प्रयत्न के लिए कान्फ्रेन्स के सयोजक और सभापति लाला तनसुखरायजी को वधाई भेजते है । हम हर दशा मे सपरिषद् कान्फ्रेन्स के निर्णयो के साथ है ।
ला० फतेहचदजी सेठी और हेमचदजी, अजमेर
कान्फ्रेस की सफलता के लिए हार्दिक कामना करते है ।
श्री सत्यभक्त पडित दरबारीलालजी वर्घा० सी० पी०-
मैं कान्फ्रेंस की सफलता चाहता हूँ । इस प्रकार का अन्यायपूर्ण टैक्स देशी राज्यो की नीति का कलक है । ईस्ट इंडियन कम्पनी की लुटेरी नीति के इतिहास मे भी ऐसा कूलक नही
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