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। नहीं कह सकते। उस तरह सिद्धियाँ आत्मा के ऐश्वयं के सामने अल्प हैं--प्रात्मा के ऐश्वर्य को । महत्व इससे अनतगुना है । इसके विषय मे समागम होने पर पूछना योग्य है।
प्रश्न (१७)-आगे चलकर कौन मा जन्म होगा, क्या इस बात की इस जन्म में खबर पड़ सकती है ? अथवा पूर्व मे कौन म प था इसकी कुछ खबर पड सकती है ?
उत्तर :-हा, यह हो सकता है, जिसे निर्मल ज्ञान हो गया हो उसे वैसा होना सम्भव है। जैसे बादल इत्यादि के चिन्हो के ऊपर से बरसात का अनुमान होता है, वैसे ही इस जीव की इस भव की चेष्टा के ऊपर से उसके पूर्व कारण कैसे होने चाहिएं, यह भी समझ मे पा सकता है-चाहे थोडे ही अशो से समझ मे आये। इसी तरह वह चेष्टा भविष्य में किस परिमाण को प्राप्त करेगी, यह भी उसके स्वरूप के ऊपर से जाना जा सकता है, और उसके विशेष विचार करने पर भविष्य मे किस भव का होना सम्भव है, तथा पूर्व मे कौन सा भव था, यह भी अच्छी तरह विचार में आ सकता है।
प्रश्न (१८)-दूसरे भव की खबर किसे पड़ सकती है? उत्तर.-इस प्रश्न का उत्तर ऊपर आ चुका है।
प्रश्न (१९)-जिन मोक्ष-प्राप्त पुरुषो के नाम का पाप उल्लेख करते हो, वह किस - आधार से करने हो?
उत्तर ---इस प्रश्न को यदि मुझे खास तौर पर लक्ष्य करके पूछते हो तो उसके उत्तर मे यह कहा जा सकता है कि जिसकी ससार दशा अत्यन्त परिक्षीण हो गई है, उसके वचन इस प्रकार के सम्भव है, उसकी चेष्टा इस प्रकार की सम्भव है इत्यादि प्रश से भी अपनी आत्मा में
जो अनुभव हुआ हो, उसके आधार से उन्हे मोक्ष हुमा कहा जा सकता है , प्राय करके वह , यथार्थ ही होता है। ऐसा मानने मे जो प्रमाण है वे भी शास्त्र आदि से जाने जा सकते है ।
प्रश्न (२०)-बुद्धदेव ने भी मोक्ष नही पाई, यह माप किस आधार से कहते हो ?
उत्तर.-उनके शास्त्र-सिद्धान्तो के माधार से। जिस तरह से उनके शास्त्र-सिद्धान्त है, यदि उसी तरह उनका अभिप्राय हो तो वह अभिप्राय पूर्वापर विरुद्ध भी दिखाई देता है, और वह सम्पूर्ण ज्ञान का लक्षण नही है ।
जहाँ सम्पूर्ण ज्ञान नही होता वहा सम्पूर्ण राग-द्वेष का नाश होना सम्भव नही । जहा वैसा हो वहा ससार को होना सम्भव है । इसलिए उन्हे सम्पूर्ण मोक्ष मिली हो, ऐसा नहीं कहा जा सकता । और उनके कहे हुए शास्त्रो मे जो अभिप्राय है उसको छोड़कर उसका कुछ दूसरा ही अभिप्राय था, उसे दूसरे प्रकार से तुम्हे और हमें जानना कठिन पडता है, और फिर भी यदि कहे कि वुद्धदेव का अभिप्राय कुछ दूसरा ही था तो उसे कारणपूर्वक कहने से वह प्रमाणभूत न समझा खाय, यह बात नहीं है।
प्रश्न (२१)-दुनिया की अन्तिम स्थिति क्या होगी?
उत्तर -सब जीवो को सर्वथा मोक्ष हो जाय, अथवा इस दुनिया का सर्वथा नाश ही ३४६ ]