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हृदय की धार्मिक भावनाओ को स्थान-स्थान पर जब अपमानपूर्ण ठेस लगती है, तो वह व्याकुल हो उठता और सोचने लगता है, कि उसके धर्म मे क्या इतनी भी ताकत नही कि वह अपने मन्दिरो के दर्शन स्वतंत्रतापूर्वक कर सके ? फिर इन टैक्सो का भार उन गरीब गृहस्थो पर तो और भी बुरी तरह पडता है, जो कोडी-कोडी जोडकर श्रावू पर्वत की तीर्थयात्रा और दर्शनो के
है ।
श्राव के समान तीर्थयात्रियो और देव दर्शन पर कर के उदाहरण भारत मे शायद ही कही देखने को मिले । हिन्दुओ के बडे-बडे तीर्थ और धार्मिक स्थान रियासतो मे है, जहा कि करोडो की सम्पत्ति है और लाखो यात्री प्रतिवर्ष दर्शनार्थं आते है, लेकिन ऐसी घाघलेवाजी और करो के उदाहरण कही देखने को नहीं मिलते। हैदरावाद निजाम सरीखी मुस्लिम रियासत मे भी हिन्दू संस्कृति के अमर चिन्ह अजता और एल्लोरा की कलापूर्ण गुफाये है, जिन्हे लाखो यात्री और कलाप्रेमी देखने जाते हैं। लेकिन इस मुस्लिम रियासत मे भी इस प्रकार अनुचित ढंग के कर इन स्थानो पर नही है, जोकि एक वडी आय का साधन बनाए जा सकते हैं। इसके विपरीत यह रियासत प्रतिवर्षं इनकी रक्षा और प्रबन्ध कार्य मे हजारो रुपया खर्च करती है। अभी हाल ही मे अजता गुफा के चित्रो के रंग उखड चले थे, जिन्हे फिर से इस रियासत ने लाखो रुपया खर्च कर इटली आदि से कारीगर बुलवाकर रग करवाया है। यह भी नही कहा जा सकता कि
हा जैन तीर्थं नही है । रियासत मे जैनियो का कुन्तलगिरि सरीखा प्रसिद्ध तीर्थं भी विद्यमान है जिसकी यात्रा के लिए भारतवर्ष से लाखो जैन यात्री प्रति वर्ष प्राते है । रियासत ने जैन यात्रियो hot सुविधार्थ मोटर का पक्का मार्ग भी कुन्तलगिरि तक बनाया है और अभी हाल ही मे इस जैन तीर्थं मे पानी के अभाव को दूर करने के लिए हजारो रुपया खर्च कर विशाल तालाव और ट्यूववेल्सका प्रबन्ध किया गया है। लेकिन दूसरी ओर आवू सरीखे प्रसिद्ध हिन्दू और जैन तीर्थं के प्रति सिरोही सरीखी हिन्दू रियासत का यह रवैया है।
धार्मिक अधिकारो का प्रश्न
यह सर्प का युग है और चहुँमुखी क्रान्ति के थपेडे प्रत्येक समाज को प्रान्दोलित कर रहे है । आज की जनता हर दिशा मे क्रान्ति, परिवर्तन और स्वतन्त्रता चाहती है । जन स्वतंत्रता के साथ साथ हरएक मनुष्य आज अपनी धार्मिक स्वतंत्रता भी चाहता है और भावू सरीखा टैक्स किसी भी धर्म के लिए श्रपमान का कारण हो सकता है । यह परिवर्तन का युग है। दुनिया आज एक वडे टेढे मोड से गुजर रही है। इस सघर्पकाल मे हरएक अपने धर्म और अधिकारो की रक्षा मे सतत् रूप से प्रयत्नशील है, क्योकि ग्राज समस्त धार्मिक और नागरिक अधिकारो के लिए एक खतरा मा हो गया है। धर्म की कच्ची दीवारे आज भूकम्प के से वेग से ढह रही है । चिर पुरातन रूढियो और सस्कारो का अन्त हो रहा है। इस परिवर्तन के युग मे जो भी जाति अपने धर्म तथा अधिकारो की रक्षा कर सकेगी, उन्ही के अधिकारो का आने वाले युग मे मान होगा । आज जो अनुचित टैक्स और वन्धन चाहे वे हमारे धर्म पर हो या हमारे सामाजिक अथवा व्यक्तिगत अधिकारो पर, यदि हम आज उन्हे न तोड सके, तो वे श्रागे चलकर या तो हमारे
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