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सभापति का भाषण जातीय संगठन के लिए अपील
रायजादा श्री गुजरमलजी मोदी ने सभापति पद के भाषण देते हुए कहा-अग्रवाल जाति के इतिहास पर अभी तक बहुत कम साहित्य लिखा गया है और जिन सज्जनो ने इस सबध अनुसंधान किया भी है, खेद है उन लोगो को भी हमारी ओर से कोई सहायता नही दी गई । अखिल भारतीय मारवाडी अग्रवाल जातीय कोष वम्बई ने अग्रवाल जाति के सबध मे सक्षिप्त रूप में कुछ पुस्तकें प्रकाशित की है। प्रत्येक जाति के लिए यह आवश्यक है कि यदि वह जीवित रहना चाहती है तो अपने पूर्वजो के कार्यों को सुने सुनावे, जिससे उनकी आगामी सन्तान मे जोश पैदा हो और श्रापस मे जातीय सम्बन्ध अधिक दृढ हो, क्योंकि हर जाति को दृढ बनाने के लिए यह आवश्यक है कि वह अपनी जाति मे एक लहर पैदा करे कि वह सब एक ही कुल की सतान है और एक ही रक्त से उनकी उत्पत्ति है। इसी उद्देश्य को ध्यान मे रखते हुए हम सब लोग यहाँ इकट्ठे हुए हैं, ताकि हमे फिर याद आ जाय कि हम सब एक ही कुल की सन्तान है और हम सब लोगो की उन्नति का रहस्य आपस मे प्रेम रखने पर निर्भर है ।
जातीय सगठन
समय के परिवर्तन से हमारा यह परिवार सैकडो मत-मतान्तरो मे विभाजित हो गया और कोई जैनी कहता
रक्त से सम्बन्धित है ।
इतनी भूल वढी कि
है और आज आपस मे उन भेदो से कोई अपने आपको सनातनी, समाजी है । विचार कुछ हो, लेकिन यह बात तो मानी हुई है कि हम सब एक ही इस कुल के सुपुत्र देश के प्रत्येक कोने-कोने मे आकर आवाद हुए, फिर इनमे एक सूत्रे के रहने वाले भाई दूसरे सूबे के रहने वाले भाई से अपने को अलग आज यह दशा है कि मारवाड मे बसने वाले अग्रवाल भाई अपने आपको मारवाडी और पजाव मे बसने वाले भाई अपने आपको पजावी कहने लगे ।
समझने लगे और
श्री अग्रसेन जी चरण कमलों में
के
महाराज श्रद्धा के फूल
स्वागताध्यक्ष श्री तनसुखराय जैन
आज परमपितामह श्रद्धेय महाराजाधिराज श्री अग्रसैन जी महाराज का जयन्ती दिवस है । उस महापुरुप के पराक्रम और प्रताप से अग्रवाल जाति को धाक सारे देश पर जमी हुई थी । अगरोहा श्री अग्रसेन जी महाराज के विशाल राज्य की राजधानी थी । उनके राज्य मैं प्रत्येक प्राणीमात्र सुखी था । अगरोहा उन दिनो स्वर्गं समझा जाता था । प्रत्येक अग्रवाल उच्च प्रादशं रखता था । उनके आचार-विचार बहुत शुद्ध थे । उन पर निम्न श्लोक चरितार्थ होता था
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