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वन्दे वीरम्
पुण्य दिवस है आज वीर प्रभु ने अवतार लिया था। दुख-विश्व के साथ एक गुस्तर उपकार किया था। कठिन कार्य नेतृत्व-लोकहित को स्वीकार किया था। मन्त्र अहिसा का जगती को करुणावार दिया था। है जिसके नेतृत्व काल की अब तक हम पर छाया । 'हम उनके' यह कहने भर का गौरव हमने पाया । यदि हम उनके पथ पर चलते तो मिट जाती माया । रहता नही कभी भी यह मन सुख के हित ललचाया । वह विभूति | जिनका दर्शन है सबको मगलकारी । जिनकी शान्ति-मुखाकृति से तर जाते पापाचारी ॥ नाम मात्र जिनका अ-व्यर्थ कहलाता सकटहारी । अभय लोक का वासी वनता वीर-नाम व्यापारी ।। बन्दनीय बह अखिल विश्व के माया-मोह विजेता । सर्व शक्ति-शाली परमेश्वर ! जग के अनुपम नेता ।। सीमा-हीन ज्ञान के वल पर, है अणु-मणु के वेता। गाते जिनकी सतत् महत्ता मुनि सुर-गण अधिनेता ।। हृदय उन्ही के चिन्तन मे अव भक्ति युक्त होकर हम । बदल वासना-पूर्ण विश्व का यह मिथ्या कार्यक्रम ।। तभी वेदना-वह्नि स्वत ही, हो जावेगी उपशम । मत प्रेम से कहो निरन्तर सुख-कर बन्दे वीरम् ।
छोटे भिखारियो के लिए तो सरकार भिखारी-विल बना देगी, पर मै पूछना है कि इन बडे भिखारियो का सरकार क्या करेगी? जव चुनाव आते है, तब ये बडं भिखारी घर-घर डोलते है-"लामो वोट और लो नोट "
मैं चाहता हूँ, प्रत्येक व्यक्ति एक-दूसरे के सद्विचारो का समादर करे । ममस्त धर्मों के प्रति सहिष्णुता रखे । उदार बनेंगे तो पाएंगे, सकुचित बनेंगे तो खोयेगे।