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चेतावनी
चैत चतुर नर कहै तन सतगुरु, किस विधि तू ललचाना है। तन धन यौवन सर्व कुटुम्बी, एक दिवस तज जाना है। चे० ॥१॥ मोह माया को बडो जाल है, जिसमे तू लोभाना है। काल आहेरी चोट पाकरी, ताक रह्यो नीशाना है। चे० ॥२॥ काल अनादि रो तू ही रे भटक्यो, तो पिण अन्त न माना है। चार दिना की देख चादनी, जिसमे तू लोभाना है। चे० ॥३॥ पूर्व भवरा पुण्य योग थी, नरकी देही पाना है। मास सवा नौ रहा गर्भ मे, उन्ध मुख झूलाना है। चे० ॥४॥
मल-मूत्र की अशुचि कोथली, माहे साकड दोना है। रुधिर शुक्रनो माहार अपवित्र, प्रथम पड़े ते लीना है। चे० ॥५] ऊट क्रोड सुई सार की, ताती कर चोभाना है। तिण सू प्रष्ट गुणी वेदना गर्भ में, देख्या दुख प्रसमाना है । चे० ॥६॥ बालपणो थे खेल गंवायो, यौवन मे गर्वाना है। भष्ट प्रहर कीधो मद मस्ती, खोटी लाग लगाना है । चे०॥७॥
रगी चगी राखत देही, टेढी चाल चलाना है। पाठ प्रहर कीधो घर धन्धो, लग रहा पार्तध्याना है । चे० ॥८॥ मात-पिता-सुत बहिन-भाणजी, तिरिया सू दिल लीना है। वे नही तेरे तू नही उनका, स्वार्थ लगी सगीना है । चे० ॥६॥ अर्थ अनर्थ करी धन मेल्यो, घणा सू बैर बंधाना है। लक्ष्मी तो तेरे लार न चलसी, यहां की यहा रह जाना है । चे० ॥१०॥
ऊचा-ऊंचा महल चिणाया, कर घना कारखाना है। घडी एक राखत नहि घर में, चालत जाय मशाना है । चे० ॥११॥ धर्म सेती द्वेप न धरना, परभव सेती डरना है। चित्त प्रापनो देख मुसाफिर, करनी सेती तरना है । चे० ॥१२॥
छिन-छिन में तेरी आयु घटत है, अञ्जली जैसे झरना है। कोडो यत्न करे बहुतेरा, तो पिण एक दिन मरना है। घे० ॥१३॥
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