________________
*0000000000000000000000000000*
-
www wann श्रावकशिरोमणी
00000000000000*
R
दानवीर
Vr
साहू शान्तिप्रसाद जैन
PRNTRA
उद्गार
ocooooooreovercarecoronacc00000oreroooooooooooor
200000000000000०००
ma
भाई तनसुखरायजी एक बड़े ही उत्साही मित्र थे । समाज-सेवा और समाज-सुधार उनके जीवन के अग थे। समाज-क्रांन्ति और समाज४. उत्थान की बात वे सदा सोचते थे। जैन-सस्कृति और धर्म में उनकी
अटूट श्रद्धा थी। मेरा उनसे २५ वर्ष भाई का सम्बन्ध रहा है। वे
अपने कष्ट के समय भी हमेशा प्रसन्न मुद्रा में रहते थे। उनके अभाव मे ___ जैन समाज ने एक कर्मठ नेता खोया है और कई संस्थाओ ने तो अपना R: सहारा ही खो दिया है।
acroeconococc00
*000000000000000000000000000*