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की नकल करके उनकी सलाह से देश को आगे ले जाने के लिए योजनाएं बनाते है और उनका सहयोग प्राप्त करते है । यह स्मरण रहे कि भारत देश धर्मपरायण ऋषि-मुनियो का देश रहा है । पश्चिमी सभ्यता, परम्पराये और वहा की योजनायें हमारे देश के अनुकूल नहीं । भारतवर्षं ने सत्य, अहिंसा और अध्यात्मिकवाद का पाठ ससार को पढाया है । सभ्यता मे सबसे ऊंचा सर्वश्रेष्ठ देश रहा है ।
इस समय एक और भ्राश्चर्यजनक बात हमारे राष्ट्रीय नेताओ के दिमाग मे घुम गई है। वह कहते है कि मास खाना बहुत लाभदायक है। भारत मे मनुष्यमात्र को प्रतिदिन इसका प्रयोग करना चाहिये । उसके लिए उनकी यह चेष्टा है कि भारत की जनता जो कि अधिकतर शाकाहारी है उनकी विचारधारा को प्रचार द्वारा बदल दिया जाय और उनकी रुचि मास खाने की ओर कराई जाय । इसी बात को ध्यान मे रखते हुए भारत सरकार द्वारा प्रकाशित सन् १९५६ की माँस रिपोर्ट में साफ तौर से मास खाने के लिए प्रचार करने और मास उत्पादन के लिए भारतवर्ष के बड़े वडे नगरो मे बड़े स्तर पर स्वयं चलित यन्त्रो से युक्त बूचडखाने खोलने की योजनाओ पर जोर दिया है । माँस उद्योग की बहुत प्रासा करते हुए उसे बढावा दिया है इसके अतिरिक्त भारत सरकार शिक्षा विभाग द्वारा मास के प्रयोग का प्रचार कर रही है ।
भारत सरकार, महाराष्ट्र सरकार और बम्बई कारपोरेशन चम्वूर के पास मुकाम देवनार (वम्बई ) मे एक बहुत वडा वूचडखाना शुरू कर रही है। इस वृचट खाने मे प्रतिदिन ६ घण्टे मे ६००० भेड़, बकरिया, ३०० गाय, बैल और भैसे और एक सौ सूअर काटे जाया करेंगे । सरकार इस वूचडखाने को उद्योगी ढग पर खोल रही है और उसका विचार पशुओ की हड्डियाँ - खून - जवान - खाल अतडिया और अन्य पशुओ का मास डब्बो में बन्द करके विदेशो मे निर्यात करने का है क्योकि विदेशो मे इसकी मांग बहुत अधिक है । वूचडखाने के काम करने का समय बढाया भी जा सकता है । यदि विदेशो मे पशुओ के मास और पशुओ के अन्य अगो की मान बढी उस समय पशुओ का वध और भी अधिक हुमा करेगा । कितने दुख की बात है। कि जनता का राज्य कहलाने वाली सरकार जनता की भावनाओ का ध्यान न करके उनके दिलो को ठेस पहुचाने के लिए गऊ तथा अन्य पशुओ का वध करेगी। इससे अधिक दुख पार्लियामेंट और विधान सभामो के उन सदस्यों पर है जो कि जनता के मतो से चुनकर वहा गये है और इस विषय मे मौन है ।
अग्रेजी राज्य मे सन् १९२१-२२ मे वरमा को गोमास भेजने के लिए रतौनानगर (पूर्वी मध्य प्रदेश) मे अग्रेजी सरकार ने एक वूचडखाना बनाने का निश्चय किया था। भारतवासियो ने इसका घोर विरोध किया तो अग्रेजी सरकार ने भारतवासियों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए वूचडखाने की योजनाओ को रद्द कर दिया । इसी प्रकार एक और समय को बात है, जबकि श्रग्रेजी सरकार ने सैनिको के लिए माँम उत्पादन के वास्ते लाहौर (पंजाब) के समीप तूचडखाना बनाने की योजना बनाई थी । वूचडखाना बनाने का काम भी शुरू गया
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