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१९३३ में रोहतक जिले मे बहुत जोरो के साथ बाढ आई। इस समय बाढ पीडितो के लिए एक रिलीफ कमेटी बनाकर कपडा, श्रौपधि व धन सहायता की, जिसके मत्री आप थे ।
१९३४ में शुरू में श्राप लक्ष्मी बीमा कम्पनी के मैनेजर होकर दिल्ली चले भायें और दिल्ली आने पर श्राप सेवा कार्यों में भाग लेने लगे। उसी साल दिल्ली में अखिल भारत दिगम्बर जैन परिषद का अधिवेशन कराया, जोकि एक बहुत सफल अधिवेशन था । उसको स्वागत समिति के प्रधान मन्त्री थाप थे । प्र० भा० दि० जैन परिषद के आप मत्री भी चुने गए। सन् ३४ के बाद सन् ३५-३६-३७-३८ मे प्र० भा० दि० जैन परिषद का कार्य बहुत जोरो से किया और सारे भारत में धूम मचादी और उन दिनो सतना खडवा अ० भा० दि० जैन परिषद के अधिवेशन, इतिहास मे अपना विशेष स्थान रखते है ।
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सन् ३१ मे जैन को-आपरेटिव बैक तथा जैन क्लब की स्थापना की और उसी साल सरसावा में वीर सेवा मंदिर की भोर से मनाये जाने वाले वीर शासन जयन्ती के सभापति बन कर गये। वहीं श्रापने अनेकात पत्र के दो साल के घाटे की जिम्मेदारी अपने ऊपर ली और दो वर्ष तक उस पत्र का घाटा पूरा किया। उसी साल निबखेडा ( मध्य भारत मे भीलो की एक कान्फ्रेंस में प्रधान बन कर गये । वहाँ के ५००० भीलो ने मास न खाने की प्रतिज्ञा प्रापकी प्रेरणा से ली थी ।
सन् ४० में जिलामण्डल देहली के प्रधानमन्त्री चुने गये। उसी साल मुजफ्फरनगर में जिला दिगम्बर जैन कान्फ्रेस के सभापति बनकर गये। जिस समय जापान ने कलकत्ते पर कमजारी की और वहाँ से हमारे मारवाडी भाई कलकत्ता छोडकर अपने देश आ रहे थे उस समय मारवाडी रिलीफ सोसायटी दिल्ली के मंत्री पद पर रहकर सेवा कार्य किया ।
सन् ४१ मे नई दिल्ली कांग्रेस कमेटी के प्रधान चुने गये । गवर्नमेंट ने मस्जिद के भागे जैनियो के जुलूस के बाजो पर पाबन्दी लगा दी थी। अभी तक जैनियो के जुलूस के बाजे मस्जिद के आगे बराबर बजते थे । इस अधिकार के लिए आपने आन्दोलन प्रारम्भ किया और सफलता प्राप्त की । इस आन्दोलन के मत्री आप थे । सिकन्द्राबाद यू० पी० मे कुछ उत्पातियो ने जैन उत्सव में बाधा पहुँचाई | आपने वहाँ जाकर उत्सव को सफल बनाया और जिन्होने बाधा डाली थी उन्हे सजा दिलवाई। उसी वर्ष बडौत के दिगम्बर जैन इण्टर कालेज का शिलान्यास आपके द्वारा हुआ । उसी साल श्राप श्राबू पर्वत पर दर्शनार्थं गये । वहाँ यात्रियो पर टोल टैक्स लगता था । उसके विरुद्ध आपने भारत व्यापी आन्दोलन प्रारम्भ किया और बढे संघर्ष के बाद उसमें सफलता मिली। इसी वर्ष व्यावर जैन कान्फ्रेस के प्रधान बन कर गये ।
सन् ४२-४३ मे काग्रेस का भारत छोडो आन्दोलन प्रारम्भ हुआ आपने उसमे जेल जाने वाले भाइयो के कुटुम्बियों की सहायता की और एक सोसायटी बनाकर उन भाइयो की पैरवी की तथा सक्रिय भाग लिया ।
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